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शराब या किसी और तरह के नशे का आदी बनने के बाद हर व्यक्ति कहता है कि उसे बुरी संगत ने इनका आदी बना दिया, वह खुद दूर रहना चाहता था। अक्सर कोई सदमा, कोई खुशी या किसी के साथ को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है। सच तो यह है ये सब व्यक्ति की कुण्डली में मौजूद ग्रहों का प्रभाव होता है।
कोई व्यक्ति शराब या नशे का सेवन तभी करता है जब उसकी कुण्डली का चन्द्रमा- राहु के साथ आर्द्रा, स्वाति अथवा शतभिषा नक्षत्र में होता है। कुण्डली में राहु की अन्य स्थिति भी व्यक्ति को शराबी बनाती है।
राहु अगर अपनी नीच राशि वृश्चिक में हो और चन्द्रमा पर शनि, मंगल, केतु की दृष्टि हो तो व्यक्ति को शराब की लत लग सकती है। लेकिन चन्द्रमा पर गुरू की दृष्टि होने पर व्यक्ति नशीली चीजों के सेवन से मुक्त हो सकता है।
जब किसी व्यक्ति की कुण्डली में राहु और शुक्र का संबंध बनता है तो व्यक्ति शराबी हो सकता है। शुक्र अगर नीच का हो तो व्यक्ति शराब एवं अन्य नशीली चीजों का भी आदी होता है।
ज्योतिषशास्त्र में समस्याओं के साथ उनका समाधान भी बताया गया है। यदि शुक्र ग्रह को मजबूत और शुभ बनाएं तो नशे से मुक्ति मिल सकती है। इसके लिए शुक्रवार के दिन व्रत रख सकते हैं।
शुक्रवार को किसी सुहागन स्त्री को सुहाग सामग्री दान दें । एक बोतल में ओपल रत्न रख दें। कुछ दिनों तक इस पानी को पिएं तो शराब की लत छूट जाती है। कटैला और ईरानी फिरोजा भी नशे से मुक्ति दिलाने वाला रत्न है।
इन दोनों रत्नों पर शनि का प्रभाव होता है जो नशे के प्रभाव को कम कर देता है जिससे व्यक्ति धीरे-धीरे स्वयं नशा छोड़ देता है। कटैला के इसी गुण के कारण प्राचीन काल में यूनानी लोग शराब पीकर भी खुद को होश में रखने के लिए कटैला के बर्तन में शराब पीते थे।
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