GORKHA: British Army में हर साल नेपाली गोरखाओं के लिए महज़ 172 सीट Indian Army में 1000 से ज़्यादा लोगों को भर्ती किया जाता था.
CHINA AND PAKISTAN ATTRACTING GORKHAS FOR THEIR ARMY. GORKHA ANGRY WITH INDIA AGNIPATH DEFENCE SCHEME
भारत और ब्रिटेन की नेपाल से जो त्रिपक्षीय संधि है, वैसी संधि चीन और पाकिस्तान के साथ नहीं है. 1947 में हुई इसी संधि के कारण नेपाली गोरखा भारत और ब्रिटेन की आर्मी में भर्ती होते हैं. लेकिन सिंगापुर और ब्रुनेई के साथ भी नेपाल की कोई संधि नहीं है और वहां की सेना में भी नेपाली गोरखा जा रहे हैं.
ऐसा इसलिए है कि नौकरी छोटी अवधि की होगी और न ही पेंशन होगी. अग्निवीर सेना से बाहर होने के बाद भारत विरोधी गतिविधियों में लिप्त हो सकते हैं. भारत विरोधी माओवादी समूह इनका इस्तेमाल कर सकते हैं. सबसे अहम बात है कि भारत और नेपाल संबंधों में नेपाली गोरखा राजनयिक सेतु का काम करते हैं और यह सेतु कमज़ोर होगा.
इस सेमिनार को मेजर जनरल गोपाल गुरुंग ने भी संबोधित किया था. इसमें उन्होंने कहा था, ''चीन फिर से नेपाली गोरखाओं को अपनी फौज में भर्ती करने की कोशिश कर सकता है. भारत के ख़िलाफ़ चीन की यह रणनीति हो सकती है. चीन गोरखाओं के पराक्रम के इतिहास को लेकर बहुत उत्साहित रहा है. 1962 में चीन ने गोरखाओं को युद्धबंदी बनाया था तो उनके साथ भारतीय युद्धबंदियों की तुलना में अच्छा व्यवहार किया था. 2020 में चीन ने एक स्टडी भी करवाई थी कि नेपालियों को भारतीय सेना में जाने की प्रेरणा कहाँ से आती है. अग्निपथ योजना के कारण नेपाली गोरखा भी चीन की ओर आकर्षित हो सकते हैं.''
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