कई NGO अब झंडा जमा करने के काम मे लगे है
कंफ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) के मुताबिक़, इस साल 15 अगस्त के मौके पर देश भर में व्यापारियों ने अलग-अलग साइज़ के 30 करोड़ झंडे बेचे. झंडे का कुल व्यापार लगभग 500 करोड़ का हुआ.
ज़ाहिर है इतनी बड़ी मात्रा में झंडों की बिक्री हुई है तो उन्हें सहेज कर रखना भी उतनी ही बड़ी ज़िम्मेदारी है. तिरंगा भारतीयों की आन-बान-शान का प्रतीक है.
इस वजह से जनता सवाल पूछ रही है कि 15 अगस्त के बाद इन झंडों का क्या करना है?
क्या हैं नियम
लेकिन ऐसा नहीं है कि झंडा जमा करने वालों के पास ही जाने का विकल्प जनता के पास मौजूद है. आम जनता अपने स्तर पर भी झंडे का ख़्याल रख सकती है और नष्ट कर सकती है.
इंडियन फ़्लैग फ़ाउंडेशन के सीईओ असीम कोहली का कहना है कि 'हर घर तिरंगा' अभियान के बारे में काफ़ी भ्रांतियां फैली हुई हैं.
बातचीत में वो कहते हैं, "लोगों के मन में ग़लत धारणा है कि झंडा केवल 13 से 15 अगस्त के बीच ही लगाना था. केंद्र या राज्य सरकार की तरफ़ से ये कभी नहीं कहा गया कि 15 अगस्त के बाद झंडा उतार लें. सबसे पहले तो जनता को ये बात समझनी है."
वो आगे कहते हैं कि ''भारत में साल के 365 दिन घर, दफ़्तर या किसी सार्वजनिक जगह पर झंडा लगाने की आम जनता को इज़ाज़त है. सुप्रीम कोर्ट के 2004 के फ़ैसले के बाद ये संभव हो पाया है. इस वजह से 15 अगस्त के बाद घरों से झंडा उतारना अनिवार्य नहीं है. आप उसे यथास्थान लगे रहने दे सकते हैं.''
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