राष्ट्रपति भवन के बाहर प्रदर्शन में भारतीय भी शामिल हैं। केतन सूर्यवंशी पिछले दो साल से श्रीलंका में नौकरी कर रहे हैं। जब वो यहां आए थे तो उनके लिए हालात अच्छे थे और सैलरी भी बढ़िया थी। लेकिन श्रीलंका के मौजूदा आर्थिक हालात ने उनके लिए भी मुश्किल पैदा कर दी हैं।
प्रदर्शन में शामिल केतन कहते हैं, "मैं दो साल पहले यहां आया था। उस समय हालात बहुत अच्छे थे। फिर कोविड महामारी आई और फिर कोविड के बाद के हालात। धीरे-धीरे यहां की अर्थव्यवस्था खराब होती चली गई।"
एक लाख की वैल्यू 22 हजार भारतीय रुपए हुई
केतन को सबसे ज्यादा नुकसान श्रीलंका के रुपए की कीमत गिरने से हुआ है। केतन कहते हैं, "जब मैं यहां आया था, तब एक लाख श्रीलंकाई रुपयों के बदले हमें चालीस हजार भारतीय रुपए मिलते थे। पिछले साल इसमें गिरावट आई और हमें एक लाख के बदले पैंतीस हजार मिलने लगे। लेकिन पिछले महीने से श्रीलंकाई रुपए में जो गिरावट शुरू हुई है, उसने हमें बर्बाद कर दिया है। अब एक लाख रुपयों के बदले 22 हजार भारतीय रुपए ही मिल रहे हैं। हमारी कमाई आधी हो गई है।"
कमाई तो कम हुई है, लेकिन भारतीयों की दिक्कत इससे भी बड़ी है। पहले उन्हें भारत पैसे भेजने में एक महीना तक लग जाता था, लेकिन अब 45 से 60 दिन का समय लग रहा है।
केतन कहते हैं, "अब श्रीलंका ने अपना कर्ज नहीं चुकाया है और ये खुद को डिफॉल्टर घोषित करने जैसा है। अभी श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार भी खाली हो रहा है। इसका असर निश्चित तौर पर मनी ट्रांसफर पर पड़ेगा। हो सकता है हमें अपनी सैलरी के लिए भी 60 से 90 दिनों तक इंतजार करना पड़े।"
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