पहली बार! एक दृष्टिहीन बना जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट में सरकारी वकील, यहां तक पहुंचने के लिए लड़ी लंबी लड़ाई
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट में दृष्टिहीन सूरज सिंह को सरकारी वकील के रूप में नियुक्त किया गया है। वकील सूरज सिंह वही हैं, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर में दिव्यांग लोगों से संबंधित कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट के बाहर धरना दिया था। सरकारी वकील के रूप में सूरज सिंह की नियुक्ति एक साल की अवधि के लिए होगी और अदालत में उनके बेहतर कार्य को देखते हुए इसे बढ़ाया भी जा सकता है।
लड़ी लंबी लड़ाई
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट में अभ्यास करने वाले एकमात्र दृष्टिहीन वकील सूरज सिंह एक ऐसे शख्स हैं, जिन्होंने आंखें न होते हुए भी अपने सपने को साकार किया। सिंह जम्मू में हाईकोर्ट के बाहर लंबे समय तक धरने पर बैठे थे और दिव्यांग लोगों के लिए अधिनियम 2016 के तहत मान्यता प्राप्त अधिकारों को लागू करने की मांग कर रहे थे। इसके अलावा वह जम्मू में ऐसे वकीलों में शुमार हैं, जो बाकी वकीलों की तरह बड़े-बड़े मुकद्दमे लड़ने की ताकत रखते हैं।
आसान नहीं थी राह
आंखों की रोशनी न हो तो दुनिया को देख पाना मुश्किल होता है। कुछ दिव्यांग तो हिम्मत हार कर बैठ जाते हैं लेकिन सूरज सिंह उन सबके लिए मिसाल हैं जो हौसला खो बैठते हैं। सूरज सिंह का जन्म कठुआ की तहसील लोहाई मलाल में हुआ। पिता खेती करते हैं। सूरज के पिता ने उनकी एडमिशन बॉयज ब्लाइंड स्कूल जम्मू में करवाई। वहां ब्रेल लिपि से पढ़ाई होती थी। सूरज सिंह छह भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर थे। रणवीर हायर सेकेंडरी स्कूल से 10वीं और 12वीं पास की। ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए मौलाना अबुल कलाम मेमोरियल कॉलेज पहुंचे और आर्ट्स से ग्रेजुएट किया। इसके बाद LLB भी वहीं से की। कोर्ट में ब्रेल पर काम-काज कम होने के कारण भी सिंह को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा लेकिन वे रूके नहीं। सूरज सिंह को अब प्रैक्टिस करते हुए 10 साल से ज्यादा हो गए हैं और उनको सारी धाराएं और पैरा अच्छे से याद हो गए हैं। सिंह ने कहा कि मैं अब खुद को एक बेहतर मंत्री के रूप में भी देखना चाहता हूं।
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