CJM RAJNANDGAON का सुप्रीम कोर्ट के आदेश मानने से इंकार, Ms Monika Jaiswal ने lalita Kumari आदेश की अवमानना की!
WILFUL AND DELIBRATE CONTEMPT OF SUPREME COURT ORDER!
FAILED TO PUT LAW INTO MOTION AS PER SUPREME COURT LALITA KUMARI ORDER. CJM Ms MONIKA JAISWAL NOT OBEYING HON'BLE SUPREME COURT SETTLED LAW WHICH ARE BINDING FOR HER.
NOT CALLING POLICE AND MINING REPORT AS PER JUDICIAL PROCEDURE
CASE OF JUDICIAL IMPROPRIETY AND MISCONDUCT!
Chattisgarh Rajnandgaon CJM Monika Jaiswal ने सुप्रीम कोर्ट के settled law मानने से इंकार किया . CJM Ms मोनिका जायसवाल की कोर्ट में illegal mining & transportation का case दायर किया गया था . यह केस mahavir group Rajnandgaon के Mahavir Suncity NX , Kanchan Bagh, Rajnandgaon में चोरी के minor मिनरल का था .माइनिंग अधिकारी और पुलिस ने जाँच से इंकार किया तो crpc 156 में याचिका दायर की गयी .
CJM ने बिना किसी आधार के याचिका ख़ारिज कर दी की बिल्डर ने पेनल्टी भर दी. याचिकाकर्ता ने फिर recall एप्लीकेशन सुप्रीम कोर्ट के citations के आधार पर दायर किया की कोई पेनल्टी नहीं दी और कोर्ट को lalita कुमारी, संजय कुमार 2014 ( Illegal Mining FIR ) और Jayant Kumar (2020 ) के citations पर ध्यान दिलाया जो की उनपर binding है, पर CJM ने सभी citations आर्डर में लिखे पर recall application ख़ारिज कर दी . उनको बताया की गलत आदेश जब केरला हाई कोर्ट के जज recall कर सकते है तो आप भी करिये .
ऐसा कर उन्होंने आर्टिकल 141 का violation किया . सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार judicial adventurism करना मना है फिर भी वो नियम से काम नहीं करती . उनके jurisdiction के पुलिस थाने ललिता कुमारी guideline का violation करते है और वो मूक दर्शक बनी रहती है. पहले के आदेश में ललिता कुमारी और अन्य माइनिंग के citation का जिक्र नहीं किया और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करती .सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार पेनल्टी भर भी दी गयी तो भी FIR mandatory है एक अन्य केस में उन्होंने पूर्वे mining officer chandrashekhar को बचाया और बिना केस number के आदेश पारित कर दिया . शायद वो सरकारी अधिकारिओ का नाम रिकॉर्ड पर नहीं चाहती. ADJ SHRI Abhishek Sharma जो की Ecommittee के इंचार्ज है उनको बताया गया पर उन्होंने भी केस नंबर नहीं दिया . सुप्रीम कोर्ट e-committee rule 2007 में हर केस को सॉफ्टवेयर में डालना mandatory है District Judge Shri Vinay Kumar Kashyap ने भी बिना बताये शिकायत बंद कर दी.
राजनांदगाव कोर्ट में Judicial Procedure का मजाक बनाया जा रहा है , फाइलिंग नंबर पर ही आदेश हो जाते है और आदेश CIS में अपलोड नहीं करते . फाइलिंग नंबर देने के बाद scrutiny करने का rule है और फिर registered case नंबर देने का नियम है पर कुछ आलसी लोग सुप्रीम कोर्ट के प्रयासों को जिले में fail कर रहे है .जिला जज भी कुछ पालन नहीं कराना चाहते . यह सब access to Justice Anita Kushwaha vs Pushpa Lalata Constitution bench ke order का contempt है . बाकी सभी जगह २ दिन में रजिस्टर्ड केस नंबर आ जाते है और ऑर्डर्स भी अपलोड हो जाते है. हाल ही में याचिकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में २ magistrates के ऊपर सिविल contempt दायर किया उन्होंने कंस्टीटूशन बेंच के ललिता कुमारी आदेश का ३ बार recall दायर करने के बावजूद violation किया . याचिकाकर्ता cjm के आदेश पर revision file करने वाले है।
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