नाक के बाल साँस की बीमारी को काम करते है, बाल नहीं होने से कीटाणु आसानी से प्रवेश कर जायँगे और रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन बढ़ेगा
आजकल सोशल मीडिया पर एक नया ट्रेंड दखने को मिल रहा कि लोग नोज वैक्सिंग करवा रहे हैं। अक्सर जब लोग ऐसी कोई नई चीज देखते हैं तो उसे एक बार करने को जरूर सोचते हैं। अगर आप भी ऐसा कोई वीडियो देख कर नोज वैक्सिंग करवाने के बारे में सोच रहे हैं तो पहले यह जान लीजिए कि ये फैसला आपकी हेल्थ के लिए खतरनाक हो सकता है।
एक्सपर्ट के मुताबिक नाक के बाल उस हवा को फिल्टर करते हैं जिसमें हम सांस लेते हैं। ये बाल हवा में मौजूद वायरस, बैक्टीरिया और अन्य बीमारी फैलाने वाले रोगजनक से बचाते हैं। मेडिकल साइंस यह बात सदियों पहले से कह रहा है कि रेस्पिरेटरी सिस्टम को हेल्दी रखने के लिए नाक के बाल जरूरी हैं।
नाक के अंदर की संरचना पूरी तरह से कैविटी रोकने वाली होती है
साल 1896 में डॉक्टर्स के एक ग्रुप ने प्रेस्टीजियस मेडिकल जर्नल द लैंसेट में लिखा था कि कई बार नाक में पिंपल्स या फुंसी भी हो जाती है जिसे नेजल वेस्टिब्यूलिटिस या फॉलिक्यूलिटिस भी कहा जा जाता है। यह प्रदूषण और धूल-मिट्टी और बैक्टीरिया की वजह से होता है। नाक के बाल नमी के साथ एक ऐसा जाल बनाते हैं जो किसी भी तरह के वायरस या बैक्टीरिया को फेफड़े तक जान से रोकते हैं। यानी की नाक के अंदर की संरचना पूरी तरह से कैविटी रोकने वाली होती है।
इसलिए जब लोग नाक के बाल ट्रिम या फिर वैक्स करा देते हैं तो वायरस और बैक्टीरिया के लिए एक क्लीन ट्रैक तैयार हो जाता है। जिससे वो आसानी से फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं।
नाक के बाल की वजह से अस्थमा का खतरा भी कम
साल 2011 में इंटरनेशनल आर्काइव्स ऑफ एलर्जी एंड इम्यूनोलॉजी में पब्लिश 233 पेशेंट की एक स्टडी में तुर्की के रिसर्चर्स की एक टीम ने पाया कि जिन लोगों की नाक में बाल ज्यादा थे, उनमें अस्थमा होने की आशंका कम थी। हालांकि यह एक ऑब्जरवेशनल स्टडी थी जिसमें कारण और प्रभाव के बारे में कुछ पता नहीं चल पाया, क्योंकि अस्थमा कोई इन्फेक्शन नहीं है।
नाक में बाल ज्यादा होने पर नेजल एयर फ्लो भी ज्यादा साल 2015 में नाक के बाल ट्रिम करने से होने वाले इफेक्ट को देखने के लिए मेयो क्लीनिक के डॉक्टर ने 30 लोगों पर एक स्टडी की। रिसर्चर्स ने वॉलंटियर्स नोज हेयर ट्रिम करने से पहले और ट्रिम करने के बाद नेजल एयर फ्लो को मापा। स्टडी के रिजल्ट में पता चला कि नाक में बाल ज्यादा होने पर नेजल एयर फ्लो भी ज्यादा होता है।
आसान भाषा में समझिए नाक के बाल बेहद जरूरी क्यों?
नाक में बालों का होना हमारे शरीर के लिए फायदेमंद होता है क्योंकि ये हमारे शरीर में गंदगी जाने से रोकते हैं। सांस के साथ-साथ धूल, मिटटी भी चली आती हैं अगर हमारे नाक में बाल न हों तो ये हमारे शरीर में प्रवेश करने लगते हैं जिससे कई बीमारियां पैदा हो सकती हैं। और अगर आपके नाक में बाल हों तो गंदगी आपके नाक के बाल में ही जमकर रह जाती है। आपके शरीर के अंदर नहीं जा पाती, इसलिए नाक के बालों को नहीं काटना चाहिए। जैसे पलकें हमारी आंखों को साफ रखती हैं वैसे ही नाक के बाल हमारी नाक को साफ और स्वस्थ रखते हैं। नाक में बाल नहीं होंगे तो इन प्रदूषित बैक्टीरिया के कारण हम किसी इन्फेक्शन का शिकार हो सकते हैं।
नाक के बालों की वैक्सिंग क्यों नहीं करानी चाहिए?
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के डॉ. एरिच वोइगट ने एक इंटरव्यू में बताया था कि नाक के ऊपरी हिस्से से शुरू कर आपके होंठों के दोनों कोनों को अगर जोड़ें तो एक ट्राएंगल बनाता है। यह ट्राएंगल चेहरे का डेंजर ट्राएंगल का होता है। यह हिस्सा आंखों, नाक और मुंह के आसपास का खास हिस्सा होता है जो बेहद संवेदनशील होता है।
चेहरे के इन हिस्सों के पास से शरीर की कई महत्वपूर्ण नसें गुजरती हैं जो सीधे दिमाग के साथ भी जुड़ती हैं। इस डेंजर ट्राएंगल वाले हिस्से में जो ब्ल्ड वेसल्स यानी रक्त वाहिनियां होती हैं, उनका सीधा संबन्ध दिमाग के पास मौजूद रक्त वाहिनियों से होता है।
आंखों, नाक और मुंह के आसपास की त्वचा स्किन इन्फेक्शन से जल्दी प्रभावित होती है और कई बार खतरनाक रूप ले सकती है। जैसे ही आप बाल झटके से तोड़ते हैं तो ब्लड वेसल में छेद हो जाता है और वहां से खून बह सकता है या इन्फेक्शन हो सकता है। ऐसे में अगर डेंजर ट्राएंगल के हिस्से में गंभीर इन्फेक्शन हो जाए, तो इससे इन्फेक्शन दिमाग की नसों तक पहुंच सकता है।
अब तक यह साफ नहीं कि वैक्सिंग रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन के खतरे को बढ़ा सकती है
हालांकि कि कुछ विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि अब तक किसी भी रिसर्च से यह साफ नहीं हो सका है कि नाक के बालों की वैक्सिंग या ट्रिमिंग रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन के खतरे को बढ़ा सकती है। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि नाक के बालों की वैक्सिंग या ट्रिमिंग नहीं करनी चाहिए।
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