नौकरी खोने के डर से चीन की महिलाएं बच्चे नहीं पैदा करना चाहती
'इस स्थिति में कौन बच्चे पैदा करेगा?'
चीनी विशेषज्ञ कहते हैं कि सरकार ने नीति तो बदल दी, लेकिन एक परिवार को जिस तरह का आर्थिक और सामाजिक समर्थन चाहिए होता है, उसके बारे में सरकार ने कुछ नहीं किया.
वो कहते हैं कि महँगाई के इस दौर में दो बच्चे पालना वैसे भी आसान नहीं रह गया है क्योंकि चीन में जीवन-यापन का ख़र्च पिछले दशकों में बहुत तेज़ी से बढ़ा है.
डॉक्टर मु का मानना है कि "चीन में लोग किसी नीति के कारण बच्चे पैदा करने से नहीं कतरा रहे, बल्कि इसलिए कतरा रहे हैं क्योंकि यहाँ बच्चा पैदा करने के बाद उसे पालना बहुत महँगा हो गया है."
वो कहती हैं कि "चीन में, ख़ासतौर पर शहरी लोगों में सफल जीवन का पैमाना बदला है. यहाँ अब शादी करने, बच्चे पैदा करने जैसी परंपरागत चीज़ों को सफल जीवन का पैमाना नहीं माना जा रहा. अब लोग निजी ग्रोथ पर ज़्यादा ध्यान दे रहे हैं."
चीन में भी यह माना जाता है कि बच्चे की देखभाल मुख्यत: माँ की ज़िम्मेदारी है.
चीन में बच्चा पैदा होने पर पुरुषों को 15 दिन की छुट्टी देने का प्रावधान है, लेकिन कम ही पुरुष यह छुट्टी लेते हैं.
डॉक्टर मु के अनुसार, यही वजह है कि चीन में नई पीढ़ी की लड़कियाँ बच्चे पैदा करने से कतराती हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके करियर पर इसका बुरा असर पड़ेगा.
जनसंख्या के आँकड़े आने के बाद से, चीन में सोशल मीडिया पर भी इस बारे में काफ़ी चर्चा हो रही है. इस सवाल पर कि चीन की नई पीढ़ी बच्चे क्यों नहीं करना चाहती? लाखों लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं. चीन की माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट वीबो पर इस बारे में काफ़ी कुछ पढ़ा जा सकता है.
एक शख़्स ने इस प्लेटफ़ॉर्म पर लिखा, "एक तो महिलाओं के लिए अच्छे रोज़गार के अवसर कम हैं. और जो महिलाएं अच्छी नौकरियाँ कर रही हैं, वो उन्हें गंवाना नहीं चाहतीं. ऐसी स्थिति में कोई भी लड़की बच्चे के बारे में कैसे सोचेगी."
चीन में अधिकांश कंपनियों और सरकारी नौकरियों में महिलाओं को बच्चा होने पर सामान्य रूप से दी जाने वाली 98 दिन की छुट्टियों से भी ज़्यादा अवकाश लेने की अनुमति है. हालांकि, लोग यह भी कहते हैं कि ऐसी नीतियों की वजह से दफ़्तरों में महिलाओं के साथ पक्षपात किया जाता है.
चीन में इसी साल मार्च में एक मामले सामने आया था जिसमें कंपनी ने एक महिला के सामने यह शर्त रखी थी कि अगर वे गर्भवति हो जाती हैं तो वे स्वेच्छा से इस्तीफ़ा दे देंगी.
चीज़ें बदलने के लिए क्या बहुत देर हो चुकी है?
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने अपनी एक रिपोर्ट में चीनी प्रशासन के हवाले से लिखा है कि आने वाले पाँच से छह वर्षों में चीन में बच्चे पैदा करने को लेकर कोई भी प्रतिबंध नहीं रह जायेगा.
हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि चीन में जनसंख्या नियंत्रण से जुड़ी सभी नीतियों को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर देना चाहिए.
कुछ चीनी शोधकर्ताओं ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चीन की सरकार को ऐसे प्रतिबंध हटाने में किसी तरह का संकोच करने की ज़रूरत नहीं है.
जबकि कुछ जानकारों का कहना है कि इस ट्रेंड को बेहद बारीकी से समझने की ज़रूरत है क्योंकि बच्चे ना करने की समस्या शहरों में ज़्यादा देखी गई है, जबकि गाँवों में ऐसा नहीं है.
चीन के कुछ नीति-निर्माताओं ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में कहा कि अगर हम शहरों को देखकर नीति में बदलाव कर देंगे तो गाँवों में जनसंख्या विस्फोट का ख़तरा बनेगा जिसकी वजह से ग्रामीण क्षेत्र में बेरोज़गारी और गरीबी बढ़ने की संभावना रहेगी.
ज़्यादातर जानकारों की राय है कि इस समस्या का एक लाइन का कोई हल नहीं हो सकता, लेकिन इसके लिए कोशिशें करनी होंगी. इसके लिए परिवारों को सहयोग देने वाली कुछ योजनाएं लानी होंगी.
बच्चों की शिक्षा और उनके स्वास्थ्य के लिए देश को कुछ ज़िम्मेदारी लेनी होगी और परिवारों का मानसिक बोझ कम करना होगा, और जानकारों के अनुसार, "यह सब जल्द से जल्द करना होगा, इससे पहले कि काफ़ी देर हो जाये."
इन सब प्रयासों के बाद शायद लिली जैसे लोगों की भी राय बदले.
वो कहती हैं कि "अगर बच्चों के लिए ज़रूरी संसाधन जुटाने के लिए होने वाला संघर्ष थोड़ा कम हो जाये, तो शायद मैं मानसिक रूप से बच्चे के लिए तैयार हो पाऊंगी. मुझे बच्चे को लेकर कम तनाव होगा. मेरी कुछ चिंताएं कम हो जायेंगी. तब मुझे भी माँ बनने में क्या परेशानी. और अगर ये सब मेरी माँ सुनेंगी तो वो मुझसे बहुत ख़ुश होंगी."
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